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Sunday, July 9, 2017

غزل

गिराने दर्द की दीवार क्यों नही आता
कोई हमारे लिए यार, क्यों नही आता

वो जिसके होने से हर रोज़ ईद होती है
वो मेरे गांव में हर बार क्यों नही आता

ज़माना बांटने वाला है मुझको हिस्सों में
मैं जिसका हक़ हूँ वो हक़दार क्यों नही आता

मैं आधे दाम पे बाज़ार में मुयस्सर हूँ
तो कोई मेरा ख़रीदार क्यों नही आता

वो जिसके जाने से ठहरा है वक़्त सदियो से
बढ़ाने वक़्त की रफ्तार क्यों नही आता

(ट्रेन से)

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